मैं एक कवि बनना चाहता हूँ

कवि बनना चाहता हूँ

सुख,दुःख,हँसी,आँसू,
मिलन का प्रेम,विरह की पीडा़,
मुस्कान की चमक,जुल्फों का अँधेरा,
कलरव करतें पक्षियों का सवेरा,लिखना चाहता हूँ।
नवोन्मेषक कवि हूँ,कवि बनना चाहता हूँ…. … . .

यथार्थ,सत्यार्थ,परमार्थ,धर्मार्थ,

कवि बनना चाहता हूँ
कवि बनना चाहता हूँ

सम्बन्ध,अनुबन्ध,मोह,आकर्षण,
आलोचना,बिंडबना,भाव,अभाव,
की भाषाएँ पढ़कर,नयी परिभाषाएँ गढ़ना चाहता हूँ।
नवोन्मेषक कवि हूँ,कवि बनना चाहता हूँ…. … . .

दिल की धड़कन,इश्क के अल्फाज,
कुछ अनकहें किस्से,कुछ अनसुने सगींत के साज,
सूखे पतझड़ में रात की वो भरी बरसात,
शब्दों की कुटिलता से घात कर ,
संस्कृति संस्कारों का बीज बोना चाहता हूँ।
नवोन्मेषक कवि हूँ,कवि बनना चाहता हूँ…. … . .

धर्म,समाज,राजनीति,
पाखंड,झूठ,अन्याय
तेजाब,दुष्कर्म,दहेज ,
गुलामी की बेडियाँ तोड़ आजाद बनना चाहता हूँ।
नवोन्मेषक कवि हूँ,कवि बनना चाहता हूँ…. … . .

कुछ टूटे सपनों को फिर से बुनना चाहता हूँ।
कमजोर,बेबस,शोषित,पीडित,
की आवाज बनना चाहता हूँ।
मैं कल नही हूँ,मैं तो आज बनना चाहता हूँ।
नवोन्मेषक कवि हूँ,कवि बनना चाहता हूँ…. … . ..


– शुभम वर्मा प्रमोद
     हरदोई,यूपी,भारत।
     मो-8707767622

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