मौत के ढक्कन

मौत के ढक्कन

साथी के घर कोई प्रोग्राम था। साथी ने मुझे दावत पर बुलाया था।अतः मैं अपनी गाड़ी लेकर प्रोग्राम में शरीक होने
सीवर के ढक्कन
सीवर के ढक्कन

को जा रहा था।मुझे काफी समय लग गया। देरी के कारण साथी का फोन आता है।

हल्लो मित्र, कहाँ हो ?
मौत के ढक्कन के पास, उसने जवाब दिया।
मैं सहम गया।
हड़बड़ाते हुए मैंने पूछा-“कहाँ है ये मौत का ढक्कन ।”
शहर की अनाजमंडी के पास, उसने जवाब दिया।
मुझे इस शहर में रहते 20 साल हो गए लेकिन यह मौत का ढक्कन मैंने कभी नहीं देखा।
मैं फोन पर सम्पर्क करता हुआ अपनी गाड़ी लेकर वहीं पहुँच जाता हूँ।
मैंने देखा मित्र सड़क के किनारे खड़ा था। मैंने पूछा-“मित्र कहाँ है मौत का ढक्कन ।”
मित्र ने अपनी गाड़ी की ओर इशारा करते हुए कहा कि सड़क के बीच बने सीवर के ढक्कन की बुरी हालत थी और गाड़ी का एक  पहिया गटर के ढक्कन में फँसा था।



– अशोक कुमार ढोरिया

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