हथेली पर बाल

हथेली पर बाल
Hatheli Par Baal

एक दिन राजा कृष्णचन्द्र ने गोपाल भांड से पूछा मेरी हथेली पर बाल पर बाल क्यों नहीं हैं ?
गोपाल ने कहा कि आप गरीबों और पंडितों को रोज इन्ही हाथों से अन्न -द्रव्यादी दान किया करते हैं ,जिसकी रगड़ से बाल नहीं जम पाते . 
राजा कृष्णचन्द्र
राजा कृष्णचन्द्र
राजा अपनी तारीफ़ सुनकर सुन कर मन ही मन खुश हुए ,लेकिन दूसरे दिन उन्हें हँसी सूझी किन्तु चुप हो गए और समय की प्रतीक्षा करने लगे कि गोपाल को उसी की बातों से शर्मिंदा किया जाएगा .एक बार जब ऐसा मौका आया तो राजा ने सोच समझकर गोपाल से कहा – तुम्हारी हथेली पर बाल क्यों नहीं हैं ?
तब गोपाल ने उत्तर दिया – दान लेते – लेते उसकी रगड़ से ही बाल उड़ गए हैं . 
अब तो राजा को कोई उक्ति न सूझी ,जिसके द्वारा वह उसे बातों से परास्त करें .अंततः राजा ने पुनः प्रश्न किया कि हमारे दरबार के अन्य लोगों की हथेली पर बाल क्यों नहीं जमते ?
तब गोपाल ने इसका उत्तर दिया – क्यों आज जब मुझे दान देने लगते हैं तब दरबारी बेचारे लोग अपने हाथ मलने लगते हैं .फलस्वरूप उसी रगड़ से इनकी हथेली पर भी बाल नहीं जम पाते हैं .

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