हे राष्ट्रपिता हे राष्ट्र पुरुष

हे राष्ट्रपिता हे राष्ट्र पुरुष


हे राष्ट्रपिता हे राष्ट्र पुरुष,
हे युगनिर्माता युगाधार
हे सत्य अहिंसा के प्रतीक,
हे बापू तुम हो पुष्प हार।

हे शांति दूत ! आज़ादी की,
तुमने सच्ची अलख जगाई।
सत्याग्रह और संवादो की,
नित नयी राह दिखलाई।

राष्ट्रपिता
राष्ट्रपिता महात्मा गांधी

अंग्रेजों से डरे नहीं तुम,
गलत ढ़ंग से लड़े नहीं तुम।
सच्चाई का मार्ग न छोड़ा,
धाराओं में बहे नहीं तुम।

मानवता का साथ न छोड़ा,
जन जन के मन को है जोड़ा।
हे बापू ! स्वविवेक से तुमने,
अंग्रेजों के घमंड को तोड़ा।

हे कर्म शील हे शांति संत,
तेरे गौरव का नहीं अंत।
तेरे पीछे संसार चला,
तेरी शिक्षाएं हैं अनंत।

तेरा यश सदा अमर रहेगा,
युगों तक मानव याद करेगा
भारत की गौरव गाथा में
स्वर्णिम तेरा नाम रहेगा।

– जितेंद्र मिश्र ‘भरत जी’

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