Aadmi Nama आदमी नामा CBSE Class 9 Hindi Sparsh

आदमी नामा – नज़ीर अकबराबादी



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आदमी नामा कविता का अर्थ व्याख्या

दुनिया में बादशाह है सो है वह भी आदमी
और मुफ़लिश-ओ-गदा है सो है वो भी आदमी
ज़रदार बेनवा है सो है वो भी आदमी
निअमत जो खा रहा है सो है वो भी आदमी
टुकड़े चबा रहा है सो है वो भी आदमी

भावार्थ – प्रस्तुत पंक्तियाँ आदमी नामा कविता से उद्धृत हैं, जो कवि नज़ीर अकबराबादी जी के द्वारा रचित है | इन पंक्तियों के माध्यम से कवि कह रहे हैं कि सही मानो में इस दुनिया में सभी आदमी ही हैं | एक बादशाह भी आदमी है और मुफ़्लिस या गरीब भी आदमी ही है | एक मालदार भी आदमी ही है | जिसे खाने की कोई कमी नहीं है वो भी आदमी है और जिसे खाने को रोटी भी नसीब नहीं, वो भी आदमी ही है | 

नज़ीर अकबराबादी
नज़ीर अकबराबादी

(2) मसज़िद भी आदमी ने बनाई है यां मियाँ
बनते हैं आदमी ही इमाम और खुतबाख्वाँ
पढ़ते हैं आदमी ही कुरआन और नमाज यां
और आदमी ही उनकी चुराते हैं जूतियाँ
जो उनको ताड़ता है सो है वो भी आदमी

भावार्थ – प्रस्तुत पंक्तियाँ ‘आदमी नामा’ कविता से उद्धृत हैं, जो कवि ‘नज़ीर अकबराबादी’ जी के द्वारा रचित है | इन पंक्तियों के माध्यम से कवि आदमी के विभिन्न कामों के बारे में बतलाते हुए कह रहे हैं कि मस्जिद की तामीर या निर्माण आदमी ने ही किया है और उसके अंदर उपदेश या प्रवचन देने का काम भी आदमी ही करते हैं | कवि कहते हैं कि आदमी ही कुरान व नमाज़ भी पढ़ते हैं | मस्जिद के बाहर बहुतायत मात्रा में जो जूतियाँ होती हैं, उसे चुराने का काम भी आदमी ही करता है | अत: उनको भगाने के लिए भी आदमी ही रहता है | 

(3) यां आदमी पै जान को वारे है आदमी
और आदमी पै तेग को मारे है आदमी
पगड़ी भी आदमी की उतारे है आदमी
चिल्ला के आदमी को पुकारे है आदमी
और सुनके दौड़ता है सो है वो भी आदमी

भावार्थ – प्रस्तुत पंक्तियाँ ‘आदमी नामा’ कविता से उद्धृत हैं, जो कवि ‘नज़ीर अकबराबादी’ जी के द्वारा रचित है | इन पंक्तियों के माध्यम से कवि कह रहे हैं कि वह आदमी ही है, जो दूसरे की जान लेने में लगा रहता है और वह भी आदमी ही है, जो दूसरों की जान बचाता है | कवि आगे कहते हैं कि वह आदमी ही है जो किसी आदमी का पगड़ी अर्थात् इज्ज़त उतारता है | फिर आदमी ही आदमी से मदद की गुहार लगाता है | तत्पश्चात्, आदमी की मदद के लिए दौड़ता है आदमी | 

(4) अशराफ़ और कमीने से ले शाह ता वज़ीर
ये आदमी ही करते हैं सब कारे दिलपज़ीर
यां आदमी मुरीद है और आदमी ही पीर
अच्छा भी आदमी ही कहाता है ए नज़ीर
और सबमें जो बुरा है सो है वो भी आदमी

भावार्थ – प्रस्तुत पंक्तियाँ ‘आदमी नामा’ कविता से उद्धृत हैं, जो कवि ‘नज़ीर अकबराबादी’ जी के द्वारा रचित है | इन पंक्तियों के माध्यम से कवि कह रहे हैं कि दुनिया में सब कुछ आदमी ही है | शरीफ भी वही है, कमीना भी वही है, बादशाह भी वही है और वज़ीर भी वही है | यहाँ आदमी ही आदमी का मुरीद है और आदमी ही आदमी का दुश्मन भी | आगे कवि कहते हैं कि जो अच्छा है, वह भी आदमी ही है और जो बुरा कहलाता है, वह भी आदमी ही है | 

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नज़ीर अकबराबादी का जीवन परिचय 

प्रस्तुत पाठ के रचयिता कवि ‘नज़ीर अकबराबादी’ जी हैं। इनका जन्म आगरा शहर में सन् 1735 को हुआ था। इन्होंने आगरा के मशहूर अदीबों से अरबी, फ़ारसी की तालीम हासिल की। इन्हें हिन्दू त्योहार बेहद पसंद था। ये हिन्दू  त्योहारों में शामिल होकर पूरा लुत्फ उठाते थे। कवि नजीर जी राह चलते नज्में कहने में काफी मशहूर थे। नजीर जी जब अपने टट्टू में सवार कोहर कँही भी जाते थे तब कोई भी राह में उनसे नज्में पढ़ने को फरियाद करता था जो उनके हुनर या पेशे से ताल्लुक रखने वाली हो तो तुरन्त ही आनन-फानन में नजीर जी एक नज्म रच देते थे। इसी वजह से भिश्ती, ककड़ी बेचनेवाला, बिसाती तक नजीर जी के नज्में गा-गाकर अपना सौदा बेचते थे। जो गीत गाकर अपना गुजर करते थे वो भी नजीर जी के ही नज्में गाते थे। नजीर दुनिया के रंग में रंगे हुए एक महाकवि थे।

इनकी कविताओं में दुनिया हँसती-बोलती, जीती-जागती, चलती-फिरती, और जीवन का त्योहार मनाते नज़र आती है। कवि नजीर जी एक ऐसे कवि है जिन्हें हिंदी और उर्दू दोनो भाषा बोलने वाले आम जन ने अपनाया। इनकी कविताएँ हमारे राष्ट्रीय एकता की मिसाल बनी है। नजीर जी अपनी कविताओं में मनोविनोद, हँसी-ठिठोली करते हैं, एक ज्ञानी की तरह नहीं बल्कि मित्र की तरह सलाह मशवरा देते हैं। सब ठाठ पड़ा रह जाएगा जब लाद चलेगा बंजारा, ऐसे नसीहत देने वाले कवि अपनी रचनाओं में जीवन का उल्लास और सच्चाई को उजागर करता है…|| 



आदमी नामा कविता का सार

प्रस्तुत पाठ या कविता आदमी नामा कवि नज़ीर अकबराबादी जी के द्वारा रचित है | प्रस्तुत कविता या नज़्म के माध्यम से कवि ने मनुष्य को आईना दिखाते हुए उसकी अच्छाइयों, सीमाओं और संभावनाओं से परिचित कराया है | साथ ही साथ अपने इस नज़्म के माध्यम से कवि नजीर अकबराबादी जी ने पूरी दुनिया को और भी ख़ूबसूरत बनाने की ओर इशारा करते नज़र आ रहे हैं…|| 

आदमी नामा कविता के प्रश्न उत्तर 

प्रश्न-1 पहले छंद में कवि की दृष्टि आदमी के किन-किन रूपों का बख़ान करती है ? क्रम से लिखिए | 

उत्तर- पहले छंद में कवि की दृष्टि आदमी में निम्नलिखित रूपों का बख़ान करती है — 

• आदमी का बादशाही रूप
• आदमी का मालदारी रूप
• आदमी का कमज़ोर रूप
• आदमी को अच्छा भोजन नसीब होने वाला रूप
• आदमी का भोजन के अभाव वाला रूप  | 

प्रश्न-2 चारों छंदों में कवि ने आदमी के सकारात्मक और नकारात्मक रूपों को परस्पर किन-किन रूपों में रखा है ? अपने शब्दों में स्पष्ट कीजिए | 

उत्तर- चारों छंदो में कवि ने आदमी के सकारात्मक और नकारात्मक रूपों का तुलनात्मक रूप से प्रस्तुत किया है — 

(सकारात्मक रूप / नकारात्कम रूप)

1. एक आदमी शाही ठाट-बाट से जीता है | (सकारात्मक रूप) 
1. दूसरे आदमी का गरीबी में दिन गुज़रता है | (नकारात्मक रूप) 
2. एक आदमी दौलतमंद होता है | (सकारात्मक रूप) 
2. दूसरा आदमी कमज़ोर होता है | (नकारात्मक रूप) 
3. एक स्वादिष्ट भोजन खाता है |(सकारात्मक रूप) 
3. दूसरा सूखी रोटियाँ चबाने पर मजबूर होता है | (नकारात्मक रूप) 
4. एक धर्मस्थलों में धार्मिक किताबें पढ़ता है | (सकारात्मक रूप) 
4. दूसरा धर्मस्थलों पर जूतियाँ चुराने का काम करता है | (नकारात्मक रूप) 
5. एक आदमी किसी के प्रति जान न्योछावर करता है | (सकारात्मक रूप) 
5. दूसरा किसी को जान से मारने की कोशिश करता है | (नकारात्मक रूप) 
6. एक शरीफ़ व सम्मानित आदमी होता है | (सकारात्मक रूप) 
6. दूसरा दुराचारी व दुरव्यवहार करने वाला आदमी होता है | (नकारात्मक रूप)  

प्रश्न-3 ‘आदमी नामा’ शीर्षक कविता के इन अंशो को पढ़कर आपके मन में मनुष्य के प्रति क्या धारणा बनती है ? 

उत्तर- प्रस्तुत कविता ‘आदमी नामा’ शीर्षक कविता के अंशों को पढ़कर मन में यह धारणा बनती है कि आदमी के अनेक रूप और उसके एक-दूसरे के प्रति व्यवहार करने के तरीके भी अलग-अलग हैं | यहाँ हम ये कह सकते हैं कि आदमी विभिन्न परिस्थितियाँ का कहीं न कहीं दास होता है | इसलिए उसका वक़्त हमेशा एक जैसा नहीं होता | 

प्रश्न-4 आदमी की प्रवृतियों का उल्लेख कीजिए | 

उत्तर- प्रस्तुत कविता ‘आदमी नामा’ के आधार पर आदमी की प्रवृतियाँ अनेक हैं | इस कविता के अनुसार, कुछ लोग धार्मिक स्थलों पर धार्मिक किताबों का ज्ञान प्राप्त करते हैं, तो वहीं पर कुछ लोग जूतियाँ चुराते नज़र आते हैं | कुछ लोग बहुत अच्छे होते हैं, तो कुछ लोग बहुत बुरे भी होते हैं | कुछ लोग दूसरों को सम्मान देकर खुशी महसूस करते हैं, तो कुछ लोग दूसरों को अपमानित करके खुश होते हैं | कुछ लोग किसी पर जान न्योछावर करते हैं, तो वहीं पर कुछ लोग जान ले भी लेते हैं | 

प्रश्न-5 निम्नलिखित मुहावरों का प्रयोग वाक्यों में कीजिए — 

(क) टुकड़े चबाना
(ख) पगड़ी उतारना
(ग) मुरीद होना
(घ) जान वारना
(ङ) तेग मारना

उत्तर- (क) टुकड़े चबाना − कई आदमी मुफ़लिसी के कारण सूखे टूकड़े चबाने पर मजबूर है | 

(ख) पगड़ी उतारना − बेटे ने भरी महफ़िल में बाप की पगड़ी उतार दी | 

(ग) मुरीद होना − उसने मेरी बात सुनकर मेरा मुरीद ही हो गया | 

 (घ) जान वारना − वह अपनी बीवी पर जान वारता है | 

(ङ) तेग मारना − दुष्ट स्वभाव के लोग दूसरों को तेग मारा करते हैं | 

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आदमी नामा पाठ से संबंधित शब्दार्थ 

• अशराफ़ – शरीफ
• दिल-पजीर – दिल पसंद
• वजीर – मंत्री 
• पीर – धर्मगुरु, संत-साधु 
• बादशाह – राजा
• मुफ़लिस – गरीब
• गदा – भिखारी
• जरदार – मालदार
• बेनवा – कमजोर
• निअमत – स्वादिष्ट भोजन
• इममम – नमाज पढ़नेवाले
• ताड़ता – भांप लेना
• खुतबाख्वां – कुरान शरीफ का अर्थ बतानेवाला | 



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