चिडिय़ा की कहानी/अज्ञेय की कविता

अज्ञेय

उड़ गई चिडिय़ा
काँपी, फिर
थिर-
हो गई पत्ती।

सच्चिदानंद हीरानंद वात्स्यायन “अज्ञेय” (७ मार्च, १९११- ४ अप्रैल, १९८७} को प्रतिभासम्पन्न कवि, शैलीकार, कथा-साहित्य को एक महत्त्वपूर्ण मोड़ देनेवाले कथाकार, ललित-निबन्धकार, सम्पादक और सफल अध्यापक के रूप में जाना जाता है।

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