चुनाव प्रशिक्षण के पश्चावर्ती प्रभाव

चुनाव प्रशिक्षण के पश्चावर्ती प्रभाव

परसों ही मतदान दलों का द्वितीय प्रशिक्षण समाप्त हुआ लगातार आठ दिन तक सुबह से शाम तक तोते की तरह प्रशिक्षण की स्लाइड्स को बोलना उनको समझाना अब एक आदत बन चुकी है सुबह आठ बजे ही मैं पूरी ड्रेस पहन कर तैयार हो गया पत्नी ने पूछा कहीं जा रहे हो ट्रेनिंग तो आपकी समाप्त हो गई मैंने कहाँ नहीं कहीं नहीं जा रहा हूँ बस यूँ मन किया तैयार होने का सो हो गया। 
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प्लेट लेकर डाइनिंग टेबिल के सामने खड़ा हो गया पत्नी ने पूछा आप प्लेट लेकर क्यों खड़े हैं मैंने झोंक में कह दिया वो सभी नास्ते की लाइन में लगे हैं  जब आगे के साथी नास्ता ले लेंगे तब मैं लूंगा। 
“लेकिन यहाँ तो कोई नहीं हैं आपकी तबियत तो ठीक है आपकी। “पत्नी ने गुस्से में मुझे घूरा .
“हाँ ठीक है तुम अपना काम करो। “मैंने पत्नी से कहा। 
मैंने अपने सभी अस पड़ोस के बच्चों को आवाज़ लगाई और उन्हें अपने कमरे में नीचे कालीन पर बैठने को कहा और अपने लेपटॉप में प्रशिक्षण की स्लाइड्स लगा कर प्रशिक्षण चालू कर दिया। 
लोकसभा निर्वाचन 2019 के द्वितीय प्रशिक्षण के प्रथम सत्र में आप सभी मतदानअधिकारीयों का मैं कक्ष क्रमांक एक में स्वागत करता हूँ ,आपको इस चुनाव में बहुत महत्वपूर्ण दायित्व सौंपा गया है अतः पूर्ण मनोयोग से आपको ये प्रशिक्षण लेना है …….. 
“पापा आप ये क्या बता रहे हैं हमारी समझ में कुछ नहीं आ रहा है ” मेरी पुत्री ने झुंझलाहट भरे शब्दों में कहा। 
देखिये आप पूर्ण गंभीरता से प्रशिक्षण लीजिये अन्यथा आपको  मतदान केंद्र पर कठनाइयों का सामना करना पड़ सकता है ” मैंने उसे लगभग डांटते हुए कहा। 
उसी समय कमरे में मेरी पत्नी आ गई। 
पत्नी को पूरा सम्मान देते हुए मैंने कहा ‘अब कक्ष में हमारी मार्गदर्शक एवं  मुख्य प्रशिक्षक आदरणीया डॉ अर्चना शर्मा पधार चुकी हैं मैं उसने निवेदन करता हूँ कि वो आप से मुखातिब हो कर आप का मार्गदर्शन करें। “
आप की तबियत तो ठीक है न नहीं तो डॉक्टर को बुलाऊँ “मेरी पत्नी चिंतित स्वर में बोलीं। 
थोड़ी देर में मेरे चाचाजी कमरे में आये उन्हें देखते ही मैंने उनको प्रणाम किया और बच्चों से बोला “अब हमारे बीच में मुख्य कार्यपालन अधिकारी आदरणीय सीईओ सर मौजूद हैं मैं उनसे निवेदन करता हूँ कि वो हमारा मार्गदर्शन करें। 
“ये क्या पागलपन मचा के रखा है तुमने डॉक्टर साहब खिसक तो नहीं गए ,घर को निर्वाचन कार्यालय बना दिया “जब से मुझे साहित्य में ऑनरेरी डॉक्टरेट अवार्ड  हुई है वो मुझे डॉक्टर साहब ही बोलते हैं। 
उसी समय कुछ काम से पिताजी ने उस कमरे में प्रवेश किया उन्हें देखते ही मैंने उन्हें प्रणाम किया और बोलना शुरू कर दिया “अब हमारे मध्य जिला निर्वाचन अधिकारी महोदय उपस्थित हैं उनसे निवेदन है की वो हमारा मार्गदर्शन करें। “
“इसे क्या हो गया है बहू क्या लू बगैरा लगी है अर्र बर्र क्यों बक रहा है “पिताजी ने मेरी पत्नी से कहा। 
“पिताजी जब से मतदान दलों को ट्रेनिंग देकर आये हैं न जाने कैसी हरकतें कर रहे हैं “मेरी पत्नी ने चिंतित स्वर में कहा। 
सभी बच्चों ने थोड़ी देर तो मुझे झेला फिर उठ कर भाग गए 
मैं मन ही मन बड़बड़ा रहा था ‘ये मतदान अधिकारीयों की बहुत बुरी आदत है ठीक से प्रशिक्षण लेते नहीं और बाद में मतदान केंद्र पर गलतियां करते हैं और हमारी बदनामी होती है। “
शाम को इवनिंग वाक पर जा रहा था कुछ  साथी मिल गए मैंने उनकी पकड़ लिया “चलो आप एक दाल के रूप में यहाँ खड़े हो जाओ अब हम मशीन के बारे में जानकारी लेंगे। “
तीन ईंटें उठा कर उन्हें कंट्रोल यूनिट vvpat और बैलेट यूनिट बना कर उन को मॉकपोल एवं CRCT की प्रक्रिया समझाने लगा। 
थोड़ी देर तो उन्होंने सुना फिर उनमे से एक ने मेरी पत्नी को फोन लगा कर कहा “भाभी जी गर्मी बहुत है आपको भाई साहब का ख्याल रखना चाहिए। “
घर आकर पत्नी ने बहुत समझाया कि प्रशिक्षण समाप्त हो चुका है अब आप नार्मल मोड में आ जाओ। 
रात को बहुत सारे लिफाफे लेकर मैं अपनी पत्नी को समझा रहा था की किस तरह से सांविधिक ,असांविधिक लिफाफे तैयार करना है एवं सामान जमा कैसे करना है ,किन किन प्रपत्रों की जाँच मुझे करनी हैं और गलत पाए जाने पर उन्हें कैसे सुधार करना है ,पीठासीन की डायरी कैसे भरना हैं ,मत पत्र लेखा कैसे भरना हैं। जब ये पूरा प्रशिक्षण दे चुका तो मैंने देखा पत्नी बहुत जोर से खुर्राटे लेकर सो रही थी।
-सुशील शर्मा 

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