नया रास्ता का उद्देश्य

नया रास्ता उपन्यास का उद्देश्य 
naya raasta novel ka uddeshya 

नया रास्ता उपन्यास का उद्देश्य नया रास्ता का उद्देश्य naya raasta novel ka uddeshya naya raasta story – नया रास्ता उपन्यास, सुषमा अग्रवाल जी द्वारा लिखा गया एक प्रसिद्ध उपन्यास है .इस उपन्यास में मध्यमवर्गीय परिवार के संघर्षों को प्रमुखता दी गयी है .आज भारत के परिवारों की समस्या बेटी के विवाह के लिए पर्याप्त दहेज़ जुटा न
नया रास्ता उपन्यास
नया रास्ता उपन्यास

पाने की है .लड़की कितनी ही पढ़ी लिखी व गुणवती क्यों न हो ,गोरा रंग व दहेज़ ज्यादा मायने रखता है .गृहस्थी बसाने के लिए माता -पिता अपने सामर्थ्य अनुसार नव दंपत्ति को कुछ समान व धन देते हैं ,किन्तु बाद में यही परंपरा आज कुपरंपरा बन गयी है .आज कितने ही माँ – बाप अपनी बेटियों का विवाह केवल दहेज़ के कारण ही नहीं कर पाते हैं .

उपन्यास की प्रमुख पात्र मीनू का विवाह भी साँवलेरंग और कम दहेज़ के कारण नहीं हो पा रहा है . उपन्यास के प्रारंभ में ही मीनू को देखने मेरठ के मायाराम जी और उनका बेटा अमित आता है .अमित को मीनू की पढ़ाई और कार्य कुशलता पसंद आ जाती है .किन्तु अमित को मीनू की पढ़ाई और कार्य कुशलता पसंद आ जाती है .किन्तु अमित की माँ को सेठ की धनीमल जी की बेटी सरिता पसंद आती है क्योंकि वह पाँच लाख दहेज़ दे सकते हैं .दहेज़ के कारण ही मायाराम जी मीनू को अस्वीकृत कर देते हैं .इससे मीनू और उसके परिवार को बहुत ठेस पहुँचती है .विवाह अस्वीकृत किये जाने पर परिणाम यह हुआ कि मीनू अब कभी विवाह नहीं करने का निश्चय किया .मीनू की बचपन से ही वकालत करने की इच्छा थी ,अतः माँ – बाप भी मीनू की इच्छा देखकर अनुमति दे दी .उसने मन लगाकर पढ़ाई की और वकालत की परीक्षा प्रथम श्रेणी में उत्तीर्ण की .वकालत पास करने के बाद वह मेरठ में ही वकालत करने लगी और अपनी मेहनत के बल पर वह प्रसिद्ध वकील बन गई. इधर अमित मीनू के विवाह न कर पाने का पश्चाताप करता रहा और उसने सेठ धनीमल जी के विवाह प्रस्ताव को ठुकरा दिया था.अमित का एक्सीडेंट होने पर मीनू उससे मिलने जाती है ,इससे अमित और मीनू के मन का मैल समाप्त हो जाता है .

ऐसी परिस्थितियों में लेखिका सुषमा अग्रवाल जी ने नया रास्ता दिखाया है .वह नया रास्ता मीनू के साहस और धैर्य के रूप में हैं .मीनू भले ही प्रारंभ में समाज द्वारा किये गए प्रहारों से हीन भावना से ग्रसित हो जाती है ,लेकिन वह टूटती नहीं है .मीनू अपने बचपन का सपना वकील बनने का पूरा करती है .वह उच्च शिक्षा प्राप्त कर आत्म -निर्भर बनती है .अतः प्रत्येक स्त्री को मीनू के जीवन को आदर्श की तरह अपनाना होगा .तभी वह अपनी मंजिल प्राप्त कर पायेगा .अतः लेखिका का उद्देश्य मीनू के जीवन का वर्णन कर महिलाओं को नवचेतना और जागृति प्रदान करता है ,जिससे वे साहस और धैर्य से काम ले सके और अपनी मंजिल प्राप्त करे. इस प्रकार पाठकों को लेखिका सुषमा अग्रवाल जी अपनी बात पहुँचाने में सफल रही है .

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