रणजीत कुमार |
लगता हैं क्यूँ ऐसा की
पथिक मैं अकेला हूँ
अंजान राहों का खोजी
मैं अलबेला हूँ
रस्ते वही चुनता हूँ
अनभिज्ञ मैं भी जिससे
पग पग मेरी रचती है
कुछ काव्य कुछ किस्से
ये किस्से अनोखे है
कविता भी कुछ नयी सी
ये व्यक्त करते उसको
जो भाव थी दबी सी
हर काव्य मेरी उसी
सफर की निशानी है
जीवन के दास्ताँ मेरी
अनमोल कहानी है ……….
यह रचना रणजीत कुमार मिश्र द्वारा लिखी गयी है। आप एक शोध छात्र है। इनका कार्य, विज्ञान के क्षेत्र में है . साहित्य के क्षेत्र में इनकी अभिरुचि बचनपन से ही रही है . आपका उद्देश्य हिंदी व अंग्रेजी लेखनी के माध्यम से अपने भाव और अनुभवों को सामाजिक हित के लिए कलमबद्ध करना है।