भारतीय नौसेना – राष्ट्र की प्रहरी

भारतीय नौसेना – राष्ट्र की प्रहरी

मारे भारतवर्ष की सुरक्षा में थलसेना और वायुसेना के साथ साथ जो दल अपने सम्पूर्ण सामर्थ्य सहित योगदान दे रहा है वो है, हमारे सशस्त्र सेना का एक महत्वपूर्ण तथा अभिन्न अंग  – भारतीय नौसेना। प्रतिवर्ष 4 दिसंबर को बड़ी धूमधाम और अपार उत्साह, उमंग के साथ भारतीय नौसेना दिवस मनाया जाता है। 

भारतीय नौसेना अपने सैकड़ों वर्षों के गौरवशाली इतिहास के साथ भारतीय सभ्यता एवं संस्कृति के संरक्षक के रुप में राष्ट्र के प्रहरी की भूमिका निभाती आई है। वर्तमान में लगभग साठ हजार नौसेनिकों से लैस हमारी भारतीय नौसेना विश्व की पाँचवी सबसे बड़ी नौसेना है।

नौसेना का शाब्दिक अर्थ है, किसी भी देश की ऐसी सेना जो लड़ाकू जल जहाजों पर चढ़कर राष्ट्र की सुरक्षा हेतु युद्ध करती है। हांलाकि इसकी वृहत् परिभाषा इसे महज जलयुद्ध तक सीमित नहीं रखती, बल्कि नौसेना राष्ट्रीय प्रहरी के साथ साथ क्षेत्रीय और वैश्विक उद्देश्यों की पूर्ति में भी सहायक होती है। इस दृष्टि से भारतीय नौसेना एक बहुआयामी राष्ट्रबल है, जिसका गठन भारत की समुद्री अखंडता और अन्य समुद्री हितों की रक्षा के लिए किया गया हैI भारतीय नौसेना का नीति वाक्य है शं नो वरुण:, अर्थात् जल के देवता वरुण हमारे लिए मंगलकारी रहें।

भारतीय नौसेना के प्रमुख नौसेनाध्यक्ष होते हैंI वे एडमिरल रैंक के अधिकारी होते हैं और उनका मुख्यालय नई दिल्ली में हैI भारतीय नौसेना की दो प्रचालनीय और एक प्रशिक्षण यानी कुल तीन कमानें होती हैंI दो प्रचालनीय कमानों मेंमुंबई स्थित पश्चिम नौसेना कमान और विशाखापट्नम स्थित पूर्वी नौसेना कमान शामिल हैं, जबकि कोच्चि स्थित दक्षिण नौसेना कमान एक प्रशिक्षण कमान है। सभी तीनों कमानों के प्रमुख वाइस एडमिरल रैंक के अधिकारी होते हैं, जिन्हें ‘ फ्लैग ऑफीसर कमांडर-इन-चीफ़ ‘ कहा जाता हैI

भारतीय नौसेना
भारतीय नौसेना

भारतीय नौसेना एक तकनीकी रूप से विकसित सेना है। आज भारतीय नौसेना अपने शक्तिशाली युद्धपोत आइएनएस विक्रमादित्य और नाभिकीय ऊर्जा से चलने वाली दो परमाणु पनडुब्बियों सहित 18 विमानवाहक जलपोत, 15 लड़ाकू जलपोत, 10 विध्वंसक जलपोत, 20 छोटे जंगी जहाज, 14 पनडुब्बियों, 135 गश्ती जलपोत और 295 समुद्री बेड़ों से समृद्ध है। अभेद सुरक्षा और अचूक वार करने वाले हथियारों से लैस समुद्री सैन्य दुर्ग कहे जाने वाला आईएनएस विक्रमादित्य भारतीय नौसेना जंगी बेड़े में 2014 में शामिल किया गया है। इसकी लंबाई लगभग तीन फुटबॉल मैदानों तथा ऊंचाई लगभग 22 मंजिली इमारत के बराबर है। इस पर कामोव-31, कामोव-28, हेलीकॉप्टर, मिग-29-K लड़ाकू विमान, ध्रुव और चेतक हेलिकॉप्टरों सहित तीस विमान और एंटी मिसाइल प्रणालियां तैनात हैं। इसके एक हजार किलोमीटर के दायरे में दुश्मन के लड़ाकू विमान और युद्धपोत नहीं आ सकते हैं। विक्रमादित्य में 1600-1800 लोगों को ले जाने की क्षमता है और यह 32 नॉट यानी 59 किमी/घंटा की रफ्तार से गश्त लगाता है और 100 दिन तक लगातार समुद्र में रह सकता है।

भारतीय नौसेना ने हाल ही में भारत और रूस के संयुक्त प्रयासों से बनाई गई सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल ब्रह्मोस के विविध संस्करणों के सफल परीक्षण किए हैं। ब्रह्मोस अपनी श्रेणी में दुनिया की सबसे तेज परिचालन प्रणाली है और डीआरडीओ द्वारा इस मिसाइल प्रणाली की सीमा को अब मौजूदा 290 किलोमीटर से बढ़ाकर करीब 450 किलोमीटर कर दिया गया है। इसी वर्ष भारतीय नौसेना ने फ्रांसीसी समुद्री रक्षा और ऊर्जा कंपनी डीसीएनएस द्वारा डिजाइन की गईं देश में ही बनाई जा रहीं छह कालवेरी श्रेणी की पनडुब्बियों में से एक स्कॉर्पीन श्रेणी की पांचवी पनडुब्बी ‘वजीर’ का भी सफलतापूर्वक जलावतरण किया है। सतह पर, पनडुब्बी रोधी युद्ध में कारगर होने के साथ सक्षम हैं। आज भारतीय नौसेना के ये सभी युद्धपोत, मिसाइलें और पनडुब्बियां समुद्र के नीचे, समुद्र के ऊपर और समुद्री सतह पर लक्ष्य भेद करने, गुप्त सूचनाएं जुटाने, समुद्र में बारूदी सुरंग बिछाने और इलाके में निगरानी करने में पूरी तरह सक्षम हैं। कोरियाई नौसेना की ही तरह भारतीय नौसेना भी ब्लू वाटर की क्षमता हासिल करने की ओर अग्रसर है।

भारत अपनी नौसेना को और अधिक सशक्त बनाने के लिए अमेरिका से 24 एमएच-60 ‘रोमियो’ पनडुब्बी-रोधी हेलीकॉप्टर खरीद रहा है। अमेरिका इसकी डिलिवरी 2021 की शुरुआत में ही कर सकता है। रोमियो अमेरिका का सबसे एडवांस एंटी सबमरीन हेलीकॉप्टर माना जाता है. पनडुब्बियों पर इसका निशाना अचूक होता है। यहां तक कि भारत ने स्वयं 123 एंटी-सबमरीन हेलीकॉप्टर का निर्माण करने का निश्चय किया है। यदि निर्धारित योजना के तहत भारतीय नौसेना अपने काम पूरा कर लेती है तो वर्ष 2022 तक भारतीय नौसेना एक सुदृढ़ त्रिआयामी शक्ति बन सकेगी। इसमें तीन एयरक्राफ्ट कैरियर सहित कुल 162 जहाज, पनडुब्बियों सहित 60 मेजर कांबेटेंट्स और लगभग 400 विभिन्न तरह के विमान शामिल हो जाएंगे।

अपनी इसी बहुआयामी क्षमता, सामरिक सतर्कता और अपने सामरिक, आर्थिक, व्यापारिक व कूटनीतिक हित के क्षेत्रों में अपनी सशक्त एंव सुदृढ़ उपस्थिति के माध्यम से भारतीय नौसेना हिन्दमहासागर के क्षेत्र में शान्ति, अमन और स्थिरता बनाये रखने में बेहतरीन सजग प्रहरी का काम कर रही है। साथ ही भारतीय नौसेना सहयोग, समन्वयन और विनियोजन की राष्ट्रीय पहल शक्ति को अपने साथ जोड़कर अपने बेड़ों का नौचालन करते हुए दक्षिण चीन सागर, अफ्रीकी समुद्री क्षेत्र, भूमध्यसागर, अरब सागर एवं हिन्द महासागर क्षेत्र में सामुद्रिक अतिक्रमण तथा राष्ट्र की समुद्री सीमाओं की सुरक्षा के उत्तरदायित्व का निर्वहन भी बड़ी ही निपुणता और सक्रियता से कर रही है।

भौगोलिक दृष्टिकोण से एशिया, प्रशान्त और हिन्द महासागर क्षेत्र भारत की स्वयं की सुरक्षा एवं आर्थिक हितों के लिए काफी महत्व रखते हैं। वहीं भारतीय नौसेना ने आस्ट्रेलिया, ब्राजील, दक्षिण अफ्रीका, फ्रांस, इंडोनेशिया, म्यांमार, रूस, सिंगापुर, श्रीलंका, थाईलैंड, ब्रिटेन, अमेरिका व जापान के साथ मिलकर युद्धाभ्यास करते हुए समुद्री सुरक्षा में सक्रिय सहयोग की साझेदारी करके अन्तरराष्ट्रीय सम्बन्धों को नवीन आयाम देने का एक उत्तम उदाहरण प्रस्तुत किया है।

आवश्यकता के समय मित्र देशों की सहायता के लिए सदैव तत्पर भारतीय नौसेना अपने मानवीय कर्तव्यों का निर्वहन भी उतनी ही शिद्दत से करती आई है। पिछले कुछ वर्षों से लगातार आधुनिकीकरण के अपने प्रयास से भारतीय नौसेना विश्व की एक प्रमुख शक्ति बनकर उभरी है। समुद्री लुटेरों से व्यापारिक जलयानों को सुरक्षा प्रदान करने की बात हो या फिर उनके विरुद्ध कठोर कदम उठाने के लिए की गईं सैन्य कार्वाहियां हों, इन सभी में भारतीय नौसेना की तरफ से किए गए प्रयासों के फलस्वरुप, आज हिन्द महासागर क्षेत्र में समुद्री डकैती जैसी समस्या पर अंकुश लग गया है। 

डॉ. शुभ्रता मिश्रा
डॉ. शुभ्रता मिश्रा 

वास्तव में भारत को वर्तमान सशक्त स्वरुप प्रदान करने वाली आधुनिक भारतीय नौसेना की नींव 17 वीं शताब्दी में रखी गई थी, जब सन् 1612 में ब्रिटिश सेना ने अपने व्यापार की रक्षा करने के लिए गुजरात में सूरत के पास एक छोटी नौसेना की स्थापना की। इसे ऑनरेबल ईस्ट इंडिया मरीन नाम दिया गया था। बाद में सन् 1686 में जब अंग्रेजों ने बंबई से व्यापार करना शुरू किया तो नौसेना का नाम बदलकर बंबई मरीन कर दिया गया। सन् 1892 में इसका एक बार फिर नाम बदलकर रॉयल इंडियन मरीन रखा गया। इसके बाद 26 जनवरी 1950 को स्वतंत्र भारत के लोकतांत्रिक गणराज्य बनने पर सम्मान सहित इसका नामकरण भारतीय नौसेना के रुप में किया गया। 22 अप्रैल, 1958 को वाइस एडमिरल आर. डी. कटारी ने भारतीय नौसेना के प्रथम भारतीय प्रमुख के रूप में पद ग्रहण किया था।

1947 में स्वतंत्रता के बाद भारत के नौसैनिक बेड़े में पुराने युद्धपोत औरसिर्फ 32 नौ-परिवहन पोत और लगभग 11,000 अधिकारी और नौसैनिक ही थे। देश के अपने स्वयं के पोत निर्माण की दिशा में आगे बढ़ते हुए, आरंभिकतौर पर बंबई के मजगांव बंदरगाह और कलकत्ता के गार्डन रीच वर्कशॉप ने भारतीय रक्षा मंत्रालय के अधीन कार्य करने शुरु किए। साथ ही सन् 1961 में पहले आईएनएस ‘विक्रांत’ को और फिर लगभग 25 साल के बाद सन् 1986 में आईएनएस ‘विराट’ को दूसरे विमानवाही युद्धपोत के रुप में नौसेना में शामिल किया गया था। हालांकि कालांतर में दोनों युद्धपोत सेवामुक्त कर दिए गए। इस तरह 18 सालों तक आईएनएस विक्रांत और 15 सालों तक आईएनएस विराट ने भारत के दोनों पूर्व और पश्चिम समुद्री तटों के साथ साथ अरब सागर से लेकर बंगाल की खाड़ी तक अकेले ही दुश्मनों की हरकतों पर नजर ही नहीं रखी थी, बल्कि किसी को पास भी आने का दुस्साहस नहीं करने दिया था। भारतीय नौसेना की उड्डयन सेवा कोच्चि में आईएनएस ‘गरुड़’ के शामिल होने के साथ शुरू हुई थी। इसके बाद कोयम्बटूर में जेट विमानों की मरम्मत व रखरखाव के लिए आईएनएस ‘हंस’ को शामिल किया गया। 

भारतीय नौसेना ने जल सीमा में कई बड़ी कार्रवाइयों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। प्रमुखरुप से सन् 1961 में नौसेना ने गोवा को पुर्तगालियों से स्वतंत्र करने में थल सेना की सहायता की थी। इसके अलावा 1971 में जब भारत और पाकिस्तान के बीच युद्ध हुआ, तब भारतीय नौसेना को अपनी अदम्य शौर्यता का परिचय दिया, जो सदा के लिए भारत के इतिहास में दर्ज हो गया है। 3 दिसंबर, 1971 के दिन पाकिस्तानी सेना ने भारतीय हवाई क्षेत्र और सीमावर्ती क्षेत्र पर हमला कर दिया था। तभी इसके जबाब में रातोंरात तीन भारतीय मिसाइल जहाजों- आइएनएस निर्घात, आइएनएस निपत और आइएनएस वीर को मुंबई से कराची की ओर भेजा गया। इन जहाजों ने दो पनडुब्बी रोधी युद्धपोतों- आइएनएस किल्तान और आइएनएस कैट्चाल के साथ मिलकर ट्राइडेंट दल बनाया। इसे ऑपरेशन ट्राइडेंट नाम दिया गया। 4 दिसंबर की रात में इस अभियान के तहत भारतीय बेड़े ने चार पाकिस्तानी जहाजों को डुबा दिया था और दो जहाजों को नष्ट कर दिया था। कराची बंदरगाह और ईंधन डिपो को भारी नुकसान पहुंचाया था। सबसे महत्वपूर्ण बात यह रही कि भारतीय नौसेना को किसी भी तरह की क्षति नहीं हुई थी और सभी भारतीय नौसैनिक सुरक्षित वापस आए थे। यह अभियान द्वितीय विश्व युद्ध के बाद के आधुनिक नौसैनिक इतिहास में सबसे सफल माना जाता है। यही कारण था कि वीरता के शानदार प्रदर्शन को स्मृतियों में सदैव संजोए रखने के उद्देश्य से, हर साल 4 दिसंबर को भारतीय नौसेना दिवस के रुप में मनाया जाना सुनिश्चित किया गया।

गोवा में भारतीय नौसेना विमानन संग्रहालय है, जिसमें अनेक संग्रहीत वस्तुओं जैसे क्लासिक हेलीकॉप्टर, विमान और विमान इंजन, कई सैन्य हथियारों, नौसेना वर्दी, पुरानी तस्वीरों, एतिहासिक दस्तावेजोंसे लेकरआईएनएस विराट और आईएनएस विक्रम की विशाल प्रतिकृतियोंके माध्यम से दशकों में हुए भारतीय नौसेना के विकास पर प्रकाश डाला गया है। यह एशिया में अपनी तरह का एकमात्र ऐसा संग्रहालय है। 

देश की जलसीमा रक्षा के साथ-साथ अन्तरराष्ट्रीय स्तर पर सियरा लियोन से लेकर कंबोडिया तक और तिमोर लेस्ते, नामीबिया, अल सल्वाडोर से लेकर विश्व के अनेक देशों में भारतीय नौसेना ने संयुक्त राष्ट्र शांति सेना के विभिन्न अभियानों में भारतीय थल सेना के साथ कई बारसैन्य सहायता प्रदान कर विश्व में शांति और सौहार्द कायम करने की भारत की गहरी प्रतिबद्धता प्रदर्शित करने में अपना अमूल्य योगदान दिया है।

इस तरह भारतीय नौसेना ने अपनी स्थापना से अब तक स्वयं को दसों दिशाओं में समग्र रुप से विस्तारित किया है। इसरो ने भारतीय नौसेना के लिए अपना एक उपग्रह जीसैट-7 भी बनाया है। वर्तमान इंटरनेट युग से भारतीय नौसेना कैसे पीछे रह सकती है। उसकी अपनी वेबसाइट https://www.indiannavy.nic.in/hi  है, जिसका मुख्‍य उद्देश्‍य आम लोगों को भारतीय नौसेना के बारे में जानकारी व समाचार उपलब्‍ध कराना है।

अब समुद्र का महत्व केवल भारतीय जलसीमा सुरक्षा तक सीमित नहीं रह गया है। बल्कि समुद्र सेभारत की आर्थिक संपन्नता, भविष्य की समृद्धि और विश्व राष्ट्रों के साथ संबंध जुड़े हुए हैं। भारत भविष्य के लिए निश्चिंत है, समुद्री सुरक्षा को लेकर आश्वस्त है, क्योंकि भारतीय नौसेनाएक दुर्जेय और सशक्त रक्षा क्षमता के निर्माण हेतु एक राष्ट्रीय प्रहरी के रुप में सदैव सज्ज खड़ी है।

जय भारत, जय भारत की नौसेना ।

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– डॉ. शुभ्रता मिश्रा, गोवा
ईमेल- shubhrataravi@gmail.com
मोबाइल- 8975245042

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