मेघदूत
उमड़ घुमड़ घनघोर घटाएं
भू पर बरसे नभ में छाएं
लागी बिजुरी चमकन नभ पर
जियरा तड़पे नैनन भर भर
सखियाँ सगरी झूला झूलें
मोरी गलियाँ पी काहे भूले
पी बिन सावन कछु नाही भाये
मेघदूत बन पी गली जाए
हे घन! पी को दियो बताये
सावन तब जब पी घर आये
बादल
काले काले बालों वाले
रूठ फुलाए गालों वाले
आसमान में उधम मचाते
बबिता ‘कोकिल’ |
गरज गरज दिखलायें बादल
कभी दौड़ते कभी हैं रुकते
कर कोलाहल फिर हैं झुकते
इक दूजे से आकर भिड़ते
उमड़ घुमड़ इठलाएं बादल
नभ को चारों ओर से घेरें
दिन में करते घोर अँधेरे
जब आँखें दिखलाये बिजली
झर झर नीर बहाएं बादल
सबका नीर चुरा कर लाएं
छा कर नभ में मन हर्षाएं
न्यौता पाकर सावन से तो
जैसे हों बौराये बादल
यह रचना बबिता कपूर “कोकिल ” जी द्वारा लिखी गयी है . आपकी अधिकतर रचनाएं पंजाबी भाषा में हैं। पंजाब से प्रकाशित होने वाली पुस्तिका ‘वक्त दे बोल’ में आपकी लिखी कविताएं एवम् ग़ज़लें प्रकाशित होती रहती हैं।आपके कहे गए शेर, ‘हिंदवी’ नामक उर्दू वेबसाइट पर प्रकाशित होते रहते हैं।इसके इलावा चंडीगढ़ में ‘रीडर्स एंड राइटर्स सोसाइटी ऑफ़ इंडिया’ एवं ‘अभिव्यक्ति’ नामक साहित्यिक संस्थाओं से आप जुडी हुई हैं तथा इनके द्वारा आयोजित गोष्ठियों में निरन्तर हिस्सा लेती हैं। ‘शिरोमणि पंजाबी लिखारी सभा पंजाब (रजिस्टर्ड)’ द्वारा प्रकाशित काव्य संग्रह में आपकी ग़ज़लें भी प्रकाशित हो रही हैं।
संपर्क सूत्र – बबिता ‘कोकिल’ ,3104/1 सेक्टर 38 डी,चंडीगढ़ ,8054303079 (मोबाइल नम्बर)